विशेष जनसुनवाई / ये कैसा न्याय: 1985 में 13 हजार जमा किए, अब अफसर बोले- प्लॉट नहीं, पैसे वापस ले लो

कलेक्टोरेट में बुधवार शाम 6 बजे... हाउसिंग सोसायटी के पीड़ितों को जमीन का मालिकाना हक दिलाने के लिए कलेक्टर तरुण पिथोड़े ने विशेष जनसुनवाई की। कलेक्टर ने न्यू फ्रेंडर्स सोसायटी के सदस्य पीए पुरुषवानी से पूछा कि प्लॉट कब खरीदा था?



पुरुषवानी ने कहा- 1985 में प्लॉट के लिए   13 हजार रुपए में जमा किए थे।  
कलेक्टर ने सहकारिता विभाग के अफसर से पूछा- इस सोसायटी का स्टेटस क्या है?
अफसर बोले - सोसायटी में प्लॉट के लिए जगह नहीं बची है। सदस्य को ब्याज समेत रुपए वापस किए जा सकते हैं।
पुरुषवानी बोले- सर, ये कैसा न्याय। अब रुपए नहीं, प्लॉट ही चाहिए। कलेक्टर ने सहकारिता विभाग के अफसरों को तीन दिन की मोहलत दोबारा सोसायटी की जांच करने के लिए दी है।
कुछ इसी तरह के मामले विशेष सुनवाई में आए। कुछ सोसायटी सदस्यों ने शिकायत की कि वरीयता सूची में उनका नाम था लेकिन फिर भी दूसरों को प्लॉट दे दिया गया है। इस पर कलेक्टर ने उनसे कहा कि पहले जांच होगी उसके बाद ही आवंटन किया जाएगा। सहकारिता विभाग के जो नियम है उसकी के तहत प्लॉट आवंटित किया जाएगा। संबंधित को इसकी सूचना दी जाएगी। इस दौरान कलेक्टर और एडीएम सतीश कुमार एस ने एक-एक आवेदक से अलग-अलग पूछताछ की और उसकी समस्या का समाधान पर चर्चा की गई। इस दौरान पेरिस हाउसिंग सोसायटी के तीन सदस्य रोशनसिंह नेगी, दिलीप गजभिये और भगवती राठौर को प्लॉट दिलाया गया।